खेती में हुआ भारी नुकसान तो शुरू किया ये काम, अब हर साल लाखों कमा रहा किसान

अगर आप नौकरी करते-करते परेशान हैं और कोई अपना स्टार्टअप शुरू करने की सोच रहे हैं तो आपको हर एंगल से पहले ही तैयारी कर लेनी पड़ेगी। आजकल मछली पालन में कमाई के बड़े मौके हैं। नौकरी छोड़कर लोग मछली पालन में हाथ आजमा रहे हैं, जिसमें सफलता भी मिल रही है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के गंगवारा निवासी मो. आसिफ सिद्दीकी रियल एस्टेट सेक्टर में काम करते थे और उनके परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती था। लगातार दो वर्ष तक परिवार को खेती में भारी नुकसान हुआ, जिसके घाटे से उबरने और नए विकल्पों की तलाश कर रहे सिद्दीकी अपने एक करीबी दोस्त परवेश के संपर्क में आए। परवेश आरएएस तकनीक (RAS Technology) का उपयोग करके मछली पालन (Fish Farming) कर रहा था और बेहतर कमाई कर रहा था। अपने दोस्त के प्रॉफिटेबल मछली बिजनेस को देखते हुए सिद्दीकी ने 2015 में मछली पालन शुरू किया।
ऐसे ली मछली पालन के लिए ट्रेनिंग
सिद्दीकी के लिए मछली पालन का बिजनेस बिल्कुल नया था। इसके बारे में उनको कम जानकारी थी। अपने ज्ञान में सुधार करने के लिए उसने मत्स्य विभाग, यूपी द्वारा आयोजित अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया। नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (NBFGR), लखनऊ से ‘कृषि उद्यमिता में स्टार्ट-अप और इनोवेशन’ में सर्टिफिकेशन कोर्स किया और NBFGR द्वारा संचालित रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (NFDB) स्पॉन्सर्ड ट्रेनिंग ली।
इसके बाद मो. आसिफ सिद्दीकी ने प्रति एकड़ 1.50 लाख रुपये के स्टॉकिंग डेंसिटी के साथ एक एकड़ क्षेत्र में 15 तालाबों का निर्माण करके बिजनेस शुरू किया। छह-सात महीनों में उन्होंने 62 टन मछली का उत्पादन किया, जिससे उन्हें अपनी कृषि भूमि को तालाबों में बदलने और अपने खेत को छह एकड़ तक विस्तार करने का मौका मिला।
आज लाखों रुपये सालाना कमा रहे हैं आसिफ सिद्दीकी
नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार, सिद्दीकी ने पश्चिम बंगाल से तीन रुपये प्रति बीज की दर से बीज खरीदे और 20-25 दिनों के लिए नर्सरी में रखे। इसके बाद 120 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच दिया। वह स्थानीय स्तर पर खरीदे गए पैलेटेड फीड का इस्तेमाल करते हैं। आस-पास के कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए तालाबों के सूखे पानी को फिर से उपयोग करके अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं का पालन करते हैं, जिससे पानी की खपत को 30 फीसदी तक होती है।
2018 में मो. आसिफ सिद्दीकी को यूपी के मत्स्य विभाग से 30 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाने, एरेटर लगाने और तालाबों में पांच एचपी का सोलर पंप लगाने के लिए छह लाख की सब्सिडी मिली, जिससे उत्पादन लागत कम हो गई। सिद्दीकी मछली पालन से सालाना 210 टन मछली का उत्पादन कर 8.40 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं। उन्होंने मछली पालन बिजनेस में 50 लोगों को रोजगार भी दिया।