एड्स से हर साल 15 लाख रोगियों की हो रही मौत, 40 से ज्यादा टीकों पर दुनिया में ट्रायल जारी

एड्स इस रोग का नाम सुनते ही इसका रोगी मानसिक रूप से खुद से कमजोर महसूस करने लगता है। हालांकि, सरकार इस रोग के उपचार से लेकर रोकथाम और वैक्सीनेशन को लेकर लगातार प्रयासरत है।
साल 2021 में जारी यूएन एड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 3.90 करोड़ लोग एचआईवी/एड्स से ग्रसित हैं। इनमें 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 18 लाख है। इसमें से 2.50 करोड़ रोगी एंटी रेट्रोवायरल थेरैपी ले रहे हैं। जबकि, 15 लाख रोगियों की मौत सालाना हो रही है।
वहीं भारत में एचआईवी/एड्स संक्रमण लगातार कम होने के बावजूद कुल रोगी करीब 24 लाख हैं। साल 2017 में 87 हजार मामले सामने आए, जबकि 2021 में करीब 70 हजार नए रोगी मिले। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में एड्स का पहला मामला सामने आने से लेकर अब तक सात करोड़ से ज्यादा लोगों में वायरस की पुष्टि हुई है, जबकि 3.50 करोड़ पीड़ितों की अब तक मौत हुई है। देश में 1995 की तुलना में अब एचआईवी/एड्स रोगियों में करीब 90 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
विशेषज्ञ डॉक्टर के मुताबिक, एचआईवी वायरस मरीज के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सीडी-4 यानी एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है, और शरीर में घुसते ही एचआईवी वायरस तेजी से बढ़ने लगता है। इसी एचआईवी की वजह से एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम होता है। सितंबर, 1982 में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने पहली बार ‘एड्स’ शब्द का इस्तेमाल किया।
एचआईवी संक्रमण रक्त, यौन संबंध सहित शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। एचआईवी के संचरण के लिए शारीरिक तरल पदार्थ में वायरस की पर्याप्त संख्या होनी चाहिए। लेकिन कई बार रोगियों में एचआईवी संक्रमण की पहचान नहीं हो पाती है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, गले में खराश, रात में पसीना, ग्रंथियों का बढ़ जाना, लाल चकत्ते, थकान, वजन अचानक कम होना और मुंह में छाले शामिल हैं। कई बार लक्षण सामने भी नहीं आते।

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