आजादी के 77 साल बाद पहुंची बिजली, तो छलक आईं ग्रामीणों की आंखें

छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था लेकिन अब जिले में विकास की नई गाथा लिखी जाने लगी है। सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित एलमागुंडा गांव के ग्रामीणों को इस बार स्वतंत्रता दिवस पर एक नई सौगात मिली है जिससे उनके चेहरे पर चमक आ गई है।

सुकमा। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था लेकिन अब जिले में विकास की नई गाथा लिखी जाने लगी है। सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित एलमागुंडा गांव के ग्रामीणों को इस बार स्वतंत्रता दिवस पर एक नई सौगात मिली है जिससे उनके चेहरे पर चमक आ गई है। दरअसल यहां के लोगों को आजादी के 76 साल बाद पहली बार बिजली की रौशनी नसीब हुई

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार प्रदेश के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार की मंशा को देखते हुए जिला प्रशासन, जिला पुलिस और सीआरपीएफ के कड़े प्रयासों के बाद एलमागुंडा गांव में बिजली पहुंचाई गई।
लब्मे समय से नक्सल प्रभावित एलमागुंडा गांव में जैसे ही बिजली पहुंची ग्रामीणों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। गौरतलब है की एलमागुंडा गांव में इसी वर्ष फरवरी माह में सुरक्षाबलों ने कैम्प स्थापित किया गया था। इसके बाद से गांव तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने में सीआरपीएफ, जिला पुलिस व जिला प्रशासन सयुंक्त रूप से प्रयास में जुट गया था और अब गांव में बिजली पहुंचने से ग्रामीणों का विश्वास भी शासन-प्रशासन और सुरक्षाबलों के प्रति बढ़ गया है।

बता दें कि सुकमा जिले के कुछ गांव अभी भी नक्सल प्रभावित और संवेदनशील हैं। लिहाज़ा सुरक्षाबलों द्वारा, प्रशासन और पुलिस के संयुक्त प्रयासों से ग्रामीणों से बेहतर सम्बंध स्थापित करने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी के तहत ग्रामीण इलाकों में कैम्प स्थापित करने के साथ ही उन इलाक़ों में लोगों की बुनियादी ज़रूरतों को पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है।

बता दें कि एलमागुंडा गांव लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है। यही वजह है कि ये गांव विकास से भी कोसो दूर रहा लेकिन अब इस गांव ने अब धीरे-धीरे विकास की राह पकड़ ली है। दरअसल, नक्सल प्रभावित इलाक़ों में लोगों तक शासन की योजनाएं पहुंचाने के लिए सीआरपीएफ ज़िला पुलिस और प्रशासन संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में शिक्षण व चिकित्सीय सेवाएं ग्रामीणों तक बेहतर तरीक़े से पहुंचाई गई हैं। इसी कड़ी में अब बिजली पहुंचा कर ग्रामीणों में विश्वास बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

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