सेंसर बोर्ड पर बरसे गोविन्द नामदेव, ‘आदिपुरुष’ पर भी कसा तंज, जानें क्या कहा

अक्षय कुमार की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'ओह माय गॉड 2' यानी 'ओएमजी 2' बॉक्स ऑफिस पर काबिल-ए-तारीफ प्रदर्शन कर रही है। हालांकि, फिल्म में एक्टर का भगवान शिव के रूप में चित्रण...

अक्षय कुमार की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘ओह माय गॉड 2’ यानी ‘ओएमजी 2’ बॉक्स ऑफिस पर काबिल-ए-तारीफ प्रदर्शन कर रही है। हालांकि, फिल्म में एक्टर का भगवान शिव के रूप में चित्रण और फिल्म की थीम, यौन शिक्षा पर सेंसर बोर्ड की आपत्ति की वजह इसे कुछ झटका लगा है। फिल्म की रिलीज से पहले इस पर 24 कट लगाए गए। इसके साथ ही इसे वयस्क प्रमाणपत्र मिला। फिल्म की पूरी टीम ने इसके लिए लड़ाई लड़ी लेकिन सेंसर बोर्ड की मांगों के आगे उन्हें झुकना पड़ा।

बावजूद इसके ‘ओएमजी 2’ को दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है। हालांकि, इस मूवी को सिर्फ वयस्क ही देख सकते हैं। इसी को लेकर ‘ओह माय गॉड 2’ के एक्टर गोविंद नामदेव का एक पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। पोस्ट में वयस्क शिक्षा पर आधारित आवश्यक फिल्म के साथ अनुचित व्यवहार को लेकर सेंसर बोर्ड की तीखी आलोचना की गई है। गोविंद ने इस दौरान ‘आदिपुरुष’ पर भी तंज कसा और इसे बेकार फिल्म बताया।

सेंसर बोर्ड पर बरसे गोविन्द नामदेव, 'आदिपुरुष' पर भी कसा तंज, जानें क्या कहा

वायरल हो रहे फेसबुक पोस्ट में ‘ओएमजी 2’ के अभिनेता गोविंद नामदेव ने लिखा है, ‘ओएमजी 2, ओह माय गॉड 2 आखिरकार 24 सेंसर कट्स और सेंसलेस ए सर्टिफिकेट के साथ रिलीज हो गई है ताकि किशोरों को यह फिल्म न देखनी पड़े जबकि सच ये है कि ये फिल्म किशोरों के लिए ही बनाई गई है, और सेंसर ने इसे पास कर दिया है।’ हालांकि, एक्टर ने ‘आदिपुरुष’ जैसी फिल्म को रिलीज होने देने में विडंबना की तरफ इशारा किया और ‘ओएमजी 2’ जैसी फिल्म में इतने सारे कट पर आपत्ति जताई।

गोविंद नामदेव ने पोस्ट में आगे लिखा, ‘जो दिमाग सेंसर बोर्ड को ‘आदिपुरुष’ जैसी बेहूदा फिल्म में लगाना चाहिए था, उसे उन्होंने ‘ओह माय गॉड 2′ जैसी विचारशील और प्रगतिशील फिल्म को काटने कूटने में लगा दिया, वाह।’ गोविन्द ने सेंसर बोर्ड को यह सोचने का सुझाव भी दिया कि उन्होंने क्या किया है। उन्होंने आगे लिखा, ‘यह एक बुद्धिमानी भरा कदम होगा अगर सेंसर अपनी गलती सुधार ले और फिल्म को कम से कम यूए प्रमाण पत्र दे ताकि हमारे समाज में किशोरों के पालन-पोषण की बेहतरी के लिए एक सकारात्मक क्रांति आ सके।’

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