सूर्य देव को अर्ध्य देते समय रखें इन बातों का खास ख्याल, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल

सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो नियमित रूप से भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं।

सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो नियमित रूप से भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। ज्योतिषी बताते हैं कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सूर्यदेव का बहुत बड़ा योगदान होता है। कहते हैं अगर कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत है, तो व्यक्ति को खूब कामयाबी और यश मिलता है। वह कम मेहनत में बड़ी सफलता हासिल करता है। वहीं अगर कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रोजाना सुबह सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।

वैसे तो अधिकतर लोग सुबह पूजा पाठ करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देते हैं। मान्यता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसके अलावा अगर किसी भी वजह से विवाह में देरी हो रही है, तो सूर्य को नियमित रूप से जल देने से शीघ्र ही अच्छे रिश्ते आने लगते हैं और विवाह जल्द हो जाता है।

सूर्य के बिना पूरी दुनिया शून्य

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी परंपरा है कि जब भी घर पर कोई अतिथि आता है तो एक लोटा शुद्ध जल उसको दिया जाता है, उसे प्रणाम किया जाता है। यह परंपरा हमारे बड़े बुजुर्ग ऋषि मुनियों ने शुरू की थी। वैसे ही हमें नियमित रूप से सूर्य भगवान की आराधना करनी चाहिए क्योंकि उनके बिना तो पूरी दुनिया शून्य है। ऐसे में जब सूर्यदेव जब सुबह-सुबह हमारे घर में आते हैं, तो एक लोटा जल उनके सम्मान और पूजन के निमित्त में चढ़ाया जाता है, जिसे शास्त्रों में अर्घ्य कहा गया है। उन्होंने कहा, केवल सादे पानी को देना आतिथ्य सम्मान होता है।

ऐसे दें अर्ध्य 

ज्योतिषी बताते हैं कि सूर्यदेव को अर्ध्य हमेशा तांबे के लोटे से देना चाहिए। साथ ही जल में लाल चंदन, सफेद तिल, लाल पुष्प, पीला चावल डालकर देना चाहिए। दोनों हाथ को सिर के ऊपर करके सूर्य को अर्ध्य देनी चाहिए ताकि गिरते हुए जल से सूर्य भगवान को देख सकें। हमेशा पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही अर्ध्य देना चाहिए।

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